चुटकी चिड़िया
एक दिन चुटकी चिड़िया उड़ते - उड़ते बरगद के पेड़ पर आकर
बैठ गई । पेड़ पर कई पक्षियों के घोंसले थे । चुटकी ने सोचा -
मैं भी इसी पेड़ पर अपना घोंसला बनाऊँगी ।
उसने घास फूस और तिनके इकट्ठे किए । बड़ी मेहनत से
एक घोंसला बना लिया ।अब चुटकी अपने घोंसले में आराम
से रहने लगी । रोज़ सुबह वह दाने की खोज में जाती । शाम को
घोंसलें में आकर आराम करती ।
एक नटखट बंदर भी उसी पेड़ पर आ गया । बंदर पेड़
पर एक डाली से दूसरी डाली पर उछल - कूद करता । मीठे -
मीठे फल तोड़कर खाता । चुटकी उसे देखती रहती ।
एक दिन तेज हवा चली । आसमान में काली घटा छा
गयी । वर्षा की बूँदे टप - टप गिरने लंगी । सभी पक्षी अपने
घोंसले में बैठकर वर्षा का आनंद ले रही थी । बंदर ने कुछ पत्तो
की आड़ में बारिश से बचने की कोशिश की । वह पूरा भीग
गया । ठंड से उसके दाँत किटकिटाने लगे ।
बंदर की ये हालत देखकर चुटकी चिड़िया बोली - बंदर
भाई , सब अपने - अपने घर में रहते हैं । तुम भी अपना घर क्यों
नहीं बना लेते ?
बंदर ने कहा - पूरा पेड़ ही मेरा घर है । मैं जहाँ चाहूँ , रह
सकता हूँ ।
चिड़ियाँ ने फिर समझाया - प्यारे दोस्त , अपना घर बना
लोगे तो सरदी , गरमी और बरसात से बचे रहोगे ।
बंदर बोला - मुझे घर बनाना नहीं आता । यह तो बहुत
मेहनत का काम है ।
चुटकी बोली - मैं तो अपनी छोटी - सी चोंच से ही तिनके
जोड़ - जोड़कर घोंसला बना लेती हूँ । तुम्हारे पास तो मनुष्यों की
तरह हाथ - पैर हैं । तुम मेहनत से क्यों घबराते हो ?
बंदर ने उत्तर दिया - चुटकी बहन , एक जगह टिककर रहना
मेरा स्वाभाव नहीं हैं । मैं तो जहाँ रह लूँ , वहीं मेरा घर है ।
वर्षा थम गई । चिड़िया ची - ची - ची करती दाने की
खोज में उड़ गई । बंदर को भूख लगी थी । वह उछल - कूद
मचाता जामुन के पेड़ पर जा बैठा और मीठे - मीठे जामुन तोड़कर
खाने लगा ।
हमने सीखा - * मेहनत * दोस्ती * घर से प्रेम * मदद करना
* सही सलाह देना * आत्मनिर्भता
एक दिन चुटकी चिड़िया उड़ते - उड़ते बरगद के पेड़ पर आकर
बैठ गई । पेड़ पर कई पक्षियों के घोंसले थे । चुटकी ने सोचा -
मैं भी इसी पेड़ पर अपना घोंसला बनाऊँगी ।
उसने घास फूस और तिनके इकट्ठे किए । बड़ी मेहनत से
एक घोंसला बना लिया ।अब चुटकी अपने घोंसले में आराम
से रहने लगी । रोज़ सुबह वह दाने की खोज में जाती । शाम को
घोंसलें में आकर आराम करती ।
एक नटखट बंदर भी उसी पेड़ पर आ गया । बंदर पेड़
पर एक डाली से दूसरी डाली पर उछल - कूद करता । मीठे -
मीठे फल तोड़कर खाता । चुटकी उसे देखती रहती ।
एक दिन तेज हवा चली । आसमान में काली घटा छा
गयी । वर्षा की बूँदे टप - टप गिरने लंगी । सभी पक्षी अपने
घोंसले में बैठकर वर्षा का आनंद ले रही थी । बंदर ने कुछ पत्तो
की आड़ में बारिश से बचने की कोशिश की । वह पूरा भीग
गया । ठंड से उसके दाँत किटकिटाने लगे ।
बंदर की ये हालत देखकर चुटकी चिड़िया बोली - बंदर
भाई , सब अपने - अपने घर में रहते हैं । तुम भी अपना घर क्यों
नहीं बना लेते ?
बंदर ने कहा - पूरा पेड़ ही मेरा घर है । मैं जहाँ चाहूँ , रह
सकता हूँ ।
चिड़ियाँ ने फिर समझाया - प्यारे दोस्त , अपना घर बना
लोगे तो सरदी , गरमी और बरसात से बचे रहोगे ।
बंदर बोला - मुझे घर बनाना नहीं आता । यह तो बहुत
मेहनत का काम है ।
चुटकी बोली - मैं तो अपनी छोटी - सी चोंच से ही तिनके
जोड़ - जोड़कर घोंसला बना लेती हूँ । तुम्हारे पास तो मनुष्यों की
तरह हाथ - पैर हैं । तुम मेहनत से क्यों घबराते हो ?
बंदर ने उत्तर दिया - चुटकी बहन , एक जगह टिककर रहना
मेरा स्वाभाव नहीं हैं । मैं तो जहाँ रह लूँ , वहीं मेरा घर है ।
वर्षा थम गई । चिड़िया ची - ची - ची करती दाने की
खोज में उड़ गई । बंदर को भूख लगी थी । वह उछल - कूद
मचाता जामुन के पेड़ पर जा बैठा और मीठे - मीठे जामुन तोड़कर
खाने लगा ।
हमने सीखा - * मेहनत * दोस्ती * घर से प्रेम * मदद करना
* सही सलाह देना * आत्मनिर्भता
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