Aaj hum padenge hindi Kavita
गुलमोहर का पेड़
गुलमोहर का पेड़ लगाया
है मैंने जो आँगन में ।
नन्हा - सा लाए थे पापा
इसको मेरे जन्म - दिवस पर ,
पाला - पोसा मैंने इसको
पानी - खाद दिया था जमकर ।
अब मुझसे भी बड़ा हो गया
देखो यह आनन - फानन में !
बड़े मज़े से अब मैं इसकी
शाखाओं पर चढ़ सकता हूँ ,
घंटों - घंटों इसकी शीतल
छाया में पढ़ सकता हूँ ।
चांहूँ तो बाँहों में इसकी
झूला झूलूँ मैं सावन में ।
गुलमोहर का पेड़
गुलमोहर का पेड़ लगाया
है मैंने जो आँगन में ।
नन्हा - सा लाए थे पापा
इसको मेरे जन्म - दिवस पर ,
पाला - पोसा मैंने इसको
पानी - खाद दिया था जमकर ।
अब मुझसे भी बड़ा हो गया
देखो यह आनन - फानन में !
बड़े मज़े से अब मैं इसकी
शाखाओं पर चढ़ सकता हूँ ,
घंटों - घंटों इसकी शीतल
छाया में पढ़ सकता हूँ ।
चांहूँ तो बाँहों में इसकी
झूला झूलूँ मैं सावन में ।
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